चम्पक से वॉट्सएप्प तक



गर्मी की छुट्टी थी,
आम के बगीचे थे,
पेड़ो पर झूले थे,
सूखे पत्तो का ढेर था।

आस-पड़ोस में बच्चे थे,
दादी-नानी की कहानियाँ थी,
नंदन-चम्पक के चीकू-मीकू थे,
लुका-छिपी और साइकिल का शौक था।

गर्मी की छुट्टी है,
कंक्रीट के जंगल है,
हाथ में स्मार्टफ़ोन है,
वॉट्सएप्प और फेसबुक अकाउंट है।

फेसबुक पर ५०० फ्रेंड्स है,
दिल टूटने वाले फेसबुक पोस्ट है,
चम्पक-नंदन वाले चीकू-मीकू खो गए,
लाइक्स और शेयर का शौक है।




Comments

मासूमियत खोता बचपन. सुंदर रचना.
Totz said…
धन्यवाद राकेश जी!

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