कभी जो
कभी जो ऐसा हो,
स्टेशन के कोलाहल में, लजाते, शरमाते और डरते,
अचंभित जो तुम मुझे देखो,
भीड़ में खोयी तुम,
गलती से ना कह देना "कौन हो तुम ?"शब्द पड़ेंगे कम,
पढ़ना न तुम आखों को,
चाहूंगा जो मैं सब छुपाना
चाहूंगा जो मैं सब छुपाना
कालचक्र का पहिया घूमेगा,
खो न जाऊँ उन में मैं,
कह देना,"जाना होगा, ट्रेन आ गयी"
Comments